ठंड में बचाएं अपना गला

ठंड में बचाएं अपना गला

सेहतराग टीम

मौसम बदल रहा हो तो सर्दी-जुकाम और गले का संक्रमण तेजी से फैलता है। कम उम्र के बच्‍चों से लेकर बड़ों को भी ये समस्‍या खूब घेरती है। अब जबकि उत्‍तरी भारत के अधिकांश हिस्‍से में ठंड अपने आखिरी चरण में है और महीने-डेढ़ महीने में ये मौसम विदा ले लेगा तो ये जरूरी है कि हम खुद को इस समय थोड़ा बचाकर रखें क्‍योंकि यही समय है जब गले का संक्रमण तेज गति से फैलता है।

मैक्‍स अस्‍पताल समूह की जानी-मानी कान, नाक और गला यानी ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्‍टर दीप्ति सिन्‍हा के अनुसार गले में सूजन आना एक आम बीमारी है। शुरू में तो यह संक्रमण वायरस के कारण होता है मगर बाद में यह बैक्‍टीरियल संक्रमण में बदल सकता है। कई बार तो सिर्फ ठंड से गले में सूजन आ सकती है और इसमें कोई संक्रमण नहीं होता है। गले में सूजन आने पर खाना निगलने में परेशानी हो जाती है और गला तेज दर्द करने लगता है। कई लोगों को बुखार भी आ जाता है।

गले का हर दर्द टॉन्सिल की समस्‍या नहीं

आमतौर पर हम मानते हैं कि गले में कोई भी दर्द हो तो वो टॉन्सिलाइटिस की समस्‍या है जबकि ऐसा होता नहीं है।  बीमारी के दौरान हरा बलगम आने पर समझें कि संक्रमण बैक्‍टीरिया की वजह से है।

कैसे फैलता है संक्रमण

यह संक्रमण मूलतः हवा से फैलता है। इसलिए बेहतर यह है कि बीमारी से संक्रमित व्यक्ति के एक मीटर के दायरे से बाहर ही रहा जाए। वैसे व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं है क्योंकि परिवार के लोग किसी बीमार व्यक्ति को दूर नहीं छोड़ सकते फिर भी यह कोशिश करनी चाहिए कि खांसते वक्त बीमारी व्यक्ति मुंह पर कपड़ा आदि रख ले। वैसे आजकल कई तरह के मास्‍क भी उपलब्‍ध हैं जो दुकानों में आसानी से मिल जाते हैं। इसका प्रयोग संक्रमण रोकने के लिए किया जा सकता है।  साथ ही, अपने हाथों को नियमित रूप से साफ करते रहें। कमरे को हवादार बनाए रखें यानी कमरे में ताजी हवा का सोर्स रखें। 

जाड़ों में क्‍यों फैलता है तेजी से

जब हम ये कहते हैं कि ठंड में ये परेशानी तेजी से बढ़ती है तो इसका ये मतलब नहीं है कि ठंड की वजह से बीमारी बढ़ती है बल्कि मुख्‍य वजह ये है कि जाड़े में लोग एक-दूसरे के ज्यादा से ज्यादा नजदीक बैठते हैं और इसी वजह से यह संक्रमण तेजी से फैलता है। स्कूली बच्चों में इस बीमारी के ज्यादा फैलने की वजह भी यही है कि वह बिना किसी सतर्कता के एक-दूसरे के करीब रहते हैं।

टॉन्सिल का ऑपरेशन कितना कारगर

हाल तक गले के संक्रमण में टांसिल के ऑपरेशन की सलाह आम रूप से दी जाती थी जबकि अब ऐसा कम ही किया जाता है। आजकल टॉन्सिल का ऑपरेशन कॉबलेशन तकनीक से की जा रही है जिसमें दर्द कम होता है और खून भी कम निकलता है। आजकल गले के संक्रमण के इलाज के लिए बहुत अच्‍छी दवाएं आ गई हैं। यदि बीमारी वायरल है तो बुखार और दर्द के लिए दवा दी जाती है। लेकिन यदि बैक्टीरिया का संक्रमण हो गया हो तो एंटीबायोटिक दवा खानी पडती है।

गला हो खराब तो ये हैं घरेलू उपचार

नियमित रूप से गुनगुने पानी में नमक और सौंठ डालकर गरारा करना इसलिए फायदेमंद है क्योंकि इससे गले की सूजन कम होती है। साथ ही गर्म तरल पदार्थों का सेवन भी फायदेमंद होता है। इसके अलावा गले के इर्द-गिर्द गर्म कपड़ा बांधें। साथ ही सोंठ, काली मिर्च ओर पिपली का चूर्ण समान मात्र में मिलाकर दिन में तीन बार एक-एक चम्मच सेवन करें।

आयुर्वेद भी है कारगर

नोएडा सेक्टर-41 स्थित आरोग्य सदनम् के आयुर्वेदिक चिकित्सक अच्युत कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि आयुर्वेद में रोग की प्रकृति देखकर इलाज किया जाता है। उनके अनुसार यह बीमारी मुख्यतः शीत ऋतु में होती है और बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी अपना शिकार बनाती है। श्वास नलिका में कफ जमा होने के कारण उसमें सूजन आ जाती है और कुछ भी निगलने में दिक्कत आती है। गले में लगातार दर्द रहता है। अगर सही तरीके से इसकी देखभाल न की जाए तो बहुत दिनों तक परेशानी झेलनी पड़ सकती है। चिकित्सक की सलाह से लक्ष्मी विलास, त्रिभुवन कीर्ति रस आदि का सेवन इसके इलाज में लाभदायक है। ठंडा खाना इस बीमारी में बेहद नुकसानदेह होता है। कार्बोनेटेड पेय, छाछ, लस्‍सी आदि का सेवन भी आयुर्वेद के अनुसार वर्जित है।

 

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